Sunday, 1 June 2025

हिरोशिमा के विनाश और विकास की करुण दास्तान

हिरोशिमा के विनाश और विकास की करुण दास्तान 


पिछले दिनों हुए घटनाक्रम ने लोगों का ध्यान परमाणु ऊर्जा के विनाशकारी खतरों की ओर आकर्षित किया है। यद्यपि जब भी इस ऊर्जा के साधनों के विकास की बात होती है तब सदैव शांतिपूर्ण उपयोग का आश्वासन और संकल्प की सफेद पताका फहराई जाने लगती है। इसके बावजूद विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका,रूस, चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, भारत, पाकिस्तान,इसराइल और उत्तर कोरिया नौ ऐसे देश हैं जिनके पास परमाणु अस्त्र हैं।  परमाणु शक्तियों के रूप में इनका दबदबा दुनिया में बना हुआ है। इन देशों के पास लगभग बारह हजार परमाणु हथियार उपलब्ध हैं। 
जब जब विश्व में युद्ध शुरू होता है या उसकी  संभावनाएं पैदा होती हैं, या तब तब प्रबुद्ध समाज की सांसे रुकने लगती हैं। कहीं कोई परमाणु शक्ति संपन्न देश जल्दबाजी में परमाणु हथियारों का उपयोग करके तबाही को आमंत्रण ना देदे।  युद्ध के विचार से ही मानव जाति और सभ्यता के विनाश की आशंका से घबराहट का वातावरण बनने लगता है।  

आणविक प्रदूषण अन्य प्रदूषणों से बहुत अलग होता है। धूल,धुँआ ,कचरा आदि दिखाई देते हैं, इनके प्रभाव के लक्षण हमें महसूस होते हैं लेकिन परमाणु विकिरण निराकार है इसे महसूस नहीं किया जा सकता। यह प्रवेश करता है और युगों तक बना रहता है। मानव जींस में पहुँचकर आनुवँशिक रोगों के रूप में परिवर्तित हो कर अनेक पी़ढियों की त्रासदी बन जाता है। लगभग अमरता का वरदान प्राप्त परमाणु कचरा मनुष्य और अपने ही निर्माता को नष्ट करने पर उतारू हो जाता है। जीवन से जुड़ी हरेक वस्तु को विकिरण प्रभावित करके मुश्किलें पैदा कर देता है। कचरे का प्रबंधन इतना कठिन होता है कि स्टील के कनटेनरों में बंद कर सीमेंटीकरण करके जमीन में गाड़ देने के बावजूद विकिरण होना जारी रहता है। 

परमाणु बमों के व्यापक दुष्प्रभाव और विध्वंस के परिणाम अत्यधिक विनाशकारी और दीर्घकालिक होते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। विश्वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे। इन हमलों में हजारों लोग मारे गए थे और शहरों का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गए थे।  बचे हुए लोगों में विकिरण बीमारी, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं देखी गईं। विकिरण के कारण पर्यावरण और जीव-जन्तुओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।  परमाणु बमों के उपयोग ने वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा किया तो परमाणु निरस्त्रीकरण की आवश्यकता पर भी समय समय पर बात होती रही। 
 
यद्यपि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमों के गिराए जाने के बाद युद्ध के दौरान इतना बड़ा परमाणु हमला तो नहीं हुआ किंतु कुछ दुर्घटनाएं अनेक कारणों से विश्व में अवश्य होती रहीं जिन्होंने परमाणु ऊर्जा के विवेकशील और सावधानीपूर्ण उपयोग को प्राथमिकता में लाने को बाध्य किया। एक बड़ी दुर्घटना चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना सोवियत संघ के युक्रेनी सोवियत समाजवादी संघ के उत्तरी नगर प्रीप्यत के पास 26 अप्रैल 1986 को चेर्नोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र के चौथे रिएक्टर में हुई थी। दूसरी है जापान की फूकूशीमा डाईची परमाणु दुर्घटना। 
फुकुशिमा के ओकुमा में फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हुई परमाणु दुर्घटना भी एक बड़ी दुर्घटना थी, जो 11 मार्च 2011 को शुरू हुई थी। दुर्घटना का कारण 2011 का तोहोकू भूकंप और सुनामी था, जिसके परिणामस्वरूप विद्युत ग्रिड फेल हो गया और बिजली संयंत्र के लगभग सभी बैकअप ऊर्जा स्रोत क्षतिग्रस्त हो गए । शटडाउन के बाद रिएक्टरों को पर्याप्त रूप से ठंडा करने में असमर्थता ने नियंत्रण को प्रभावित किया और इसके परिणामस्वरूप आसपास के वातावरण में रेडियोधर्मी संदूषक फैल गए थे। चाहे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में हुई दुर्घटनाएं हों या  परमाणु बमों का युद्ध में प्रयोग इनके दुष्प्रभाव और विध्वंस के परिणाम अत्यधिक विनाशकारी होते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी की घटनाएं हमें परमाणु हथियारों के उपयोग के खतरों की याद दिलाती हैं और शांति और निरस्त्रीकरण की दिशा में काम करने की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।

हिरोशिमा में हुए विध्वंस की घटना के लगभग 80 वर्ष बाद हमने हमारे प्रिय ट्रैवलर ब्लॉगर बंसी बिश्नोई के जापान यात्रा के यूट्यूब वीडियोस के माध्यम से आज के हिरोशिमा शहर और घटनास्थल का अवलोकन किया। हमने देखा तो एक तरफ मन करुणा से भर गया तो दूसरी तरफ जापानी लोगों की जीवटता और उनके हौसलों के कायल भी हो गए। हिरोशिमा आज जापान का एक बड़ा नगर है, जिसकी आबादी लगभग 11,96,274 है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान परमाणु बम हमले से तबाह होने के बाद, हिरोशिमा ने पुनर्निर्माण और विकास की लंबी यात्रा तय की है। आज यह शहर शांति और मानवता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

ट्रैवलर बंसी बिश्नोई वर्तमान हिरोशिमा शहर का आभासी टूर हमें बड़ी जीवंतता से देते हैं। खास स्थलों की सैर कराते हुए भावुकता के साथ कुछ जानकारियां भी देते हैं।  हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क शहर के केंद्र में स्थित है, जो परमाणु बम हमले के पीड़ितों की याद में बनाया गया है। पार्क में कई स्मारक और मूर्तियां हैं, एक सारस की मूर्ति है,जो शांति और आशा का प्रतीक है। शहर में कई संग्रहालय और स्मारक हैं जो परमाणु बम हमले के इतिहास और इसके प्रभावों को प्रदर्शित करते हैं। 
खासतौर से एक संग्रहालय हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क में स्थित है और परमाणु बम हमले के इतिहास और इसके प्रभावों को प्रदर्शित करता है। संग्रहालय में कई प्रदर्शन हैं, यहां एक क्षत विक्षत गेनबाकु डोम दिखाई देता है, जो परमाणु बम हमले के बाद भी खड़ा रहा था। मलबे से निकले लोगों के कपड़े, जूते, उपकरण,उनके अवशेष देखकर मन रो पड़ता है। दो बच्चे साइकिल चलाते हुए शिकार हो गए थे, अब जंग लगी साइकिल के पास उनके बुत रखे हैं। किसी बच्चे का टिफिन खुला पड़ा है जिसमें रखा भोजन अब फफूंद बन गया है, कहीं स्कूल बैग के साथ कोई किताब है तो कहीं एक बंद पड़ी हाथ घड़ी विध्वंस का ठीक ठीक समय इतिहास में दर्ज कर चुकी है। ट्रैवलर का बोलते बोलते गला भर आता है, वह बाहर निकल कर अपनी आँखें पोंछता हुआ संग्रहालय से निकलकर बाहर आ जाता है। बाहर अनेक पर्यटक उदास हैं, आँखें मलते दिखाई देते हैं। हमारे स्मार्ट टीवी का स्क्रीन धुंधलाने लगता है। हमारी आंखों में आंसू की बूंदे हैं, गला रूंध गया है।  

संग्रहालय का उद्देश्य लोगों को परमाणु बम हमले के भयानक परिणामों के बारे में जागरूक करना और शांति और मानवता के महत्व को बढ़ावा देना है। क्या हम इस महत्व को पूरी तरह समझ पाए हैं? यह सवाल हमारे सामने अब भी खड़ा है, जब दुनिया में कई युद्ध चल रहे हैं, कुछ स्थगित दिखाई देते हैं, कहीं कहीं शब्द युद्ध जारी हैं, उम्मीद करें ये अस्त्र शस्त्र धारित युद्धों में नहीं बदल सकेंगे। सचमुच जापान के हिरोशिमा शहर के पुनरुद्धार की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक शहर विनाश के बाद पुनर्निर्माण और विकास का लक्ष्य हासिल कर सकता है और शांति और मानवता के प्रतीक के रूप में उभर सकता है।

ब्रजेश कानूनगो 

हिरोशिमा के विनाश और विकास की करुण दास्तान

हिरोशिमा के विनाश और विकास की करुण दास्तान  पिछले दिनों हुए घटनाक्रम ने लोगों का ध्यान परमाणु ऊर्जा के विनाशकारी खतरों की ओर आकर्षित किया है...