Thursday, 18 July 2024

दुनिया की सैर : नए विकल्प

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दुनिया की सैर : नए विकल्प


महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि यदि अपने देश को जानना है, संस्कृति को समझना है तो हमे रेल यात्राएं करना चाहिए, लोगों के बीच जाना चाहिए। 
उस दौर में यह एक अच्छा तरीका हो सकता था जब हम रेल यात्रा से देश और दुनिया को जान सकते थे। बापू ने यह करके दिखाया भी था। भारतीय समाज को समझने में उनका यात्राओं का यह तरीका बहुत कारगर भी रहा। 
एक अन्य तरीके से भी यह कार्य संभव होता रहा है। किताबों के जरिए भी संसार को जाना गया है। उन लोगों की लिखी पुस्तकों को पढ़कर जिन्होंने दुनिया को प्रत्यक्षतः देखा, लोगों के बीच गए,जीवन शैली को देखा, वहां की प्रकृति को अनुभव किया और फिर उन अनुभवों को अपनी रचनाओं में ,वृतांतों में सहेज लिया।  ऐसी पुस्तकों और उन यात्रियों के लिखे को पढ़ेंगे तो भी हम देश और दुनिया को बहुत कुछ जान समझ सकते हैं। बहुत से लोगों ने इसका लाभ भी उठाया है।   यात्रा वृतांत को पढ़ते हुए, सैलानियों और विचारकों द्वारा लंबे समय में निष्ठा, लगन और संघर्ष से अर्जित अनुभवों और विश्लेषणों को उनसे सुनकर, चर्चा करके या उनकी लिखी पुस्तकों को पढ़कर भी दुनिया को समझने की अपनी जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है। या तो यह सब हम खुद करें या पुस्तकों से गुजर कर थोड़ा सा उनमें अपने आपको अनुभूत करें। पहले विकल्प से दूसरा विकल्प सामान्यतः सरल कहा जा सकता है। 

समय के साथ बहुत कुछ बदलता जाता है। आज का समय टेक्नोलॉजी, इंटरनेट और डिजिटल मीडिया का समय है। पुस्तकों का स्थान दृश्य श्रव्य माध्यम ने ले लिया है। अब विचारक, विशेषज्ञ और सैलानी सब लोग इसी माध्यम पर सक्रिय हैं। खासतौर से जो ब्लॉगर्स होते हैं जो ट्रेवल व्लॉग बनाते हैं, या कोई अन्य विषय पर अपनी बात कहते हैं वे सब वीडियो के रूप में  आज इंटरनेट पर, यूट्यूब पर उपलब्ध होते गए हैं।  हम उनको देखकर, महसूस करके, उनके साथ यात्राएं करते हुए भी बहुत सी चीजों को जान समझ सकते हैं। बदलती परिस्थितियों और तन मन के सामर्थ्य के चलते हमने यही विकल्प चुना। पिछले कुछ समय में घर बैठे दुनिया भर की मानस यात्रा यूट्यूब पर करते रहे और जो लोग इस सफर में हमारे माध्यम बने, किस तरह से यह सब होता रहा, पाठकों से साझा करने का मन हो रहा है।  

कोरोना काल के कठिन समय जब घरों में कैद होकर कोई अन्य आउटडोर उपाय नहीं रहा था तब हम लोग यूट्यूब की ओर मुड़े थे। टीवी के रेगुलर चैनल देखना तो काफी पहले बंद कर दिया था लेकिन जब हमें यूट्यूब पर कुछ ट्रेवल वीडियो देखने को मिले तो फिर हमारा रुझान दुनिया देखने की तरफ होता चला गया। अनेक ट्रेवलर,यूट्यूबर हमारे आभासी दोस्त बनते चले गए। यद्यपि सबसे पहले हमने जवाहरलाल नेहरू जी की किताब ' डिस्कवरी ऑफ इंडिया ' पर आधारित दूरदर्शन के धारावाहिक ' भारत एक खोज का ' पुनरावलोकन यूट्यूब पर किया। पंडित नेहरू ने  जिस दृष्टि से दुनिया को देखा, भारत को देखा, भारत के इतिहास को देखा उससे हमे विश्व पर्यटन की मानस यात्रा करने की इच्छा प्रबल होती गई।  

सबसे पहले यूट्यूब पर हिंदी में दिल्ली के हरीश बाली जी का वीजा टू एक्सप्लोर नामक ट्रेवल व्लॉग देखने को मिला। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर इस काम में हाथ डाला था, लगभग पूरा भारत घूम चुके हैं। उनकी तीन लोगों की टीम होती है और वह हिंदी में अपनी यात्राओं में उस पर्यटन क्षेत्र को समग्रता से बहुत अच्छे से फिल्माते हैं। स्थान के ऐतिहासिक, पर्यटन, प्राकृतिक सौंदर्य, जीवन शैली,खान पान जैसे सभी पक्षों को अपने वीडियो में दर्शकों को बहुत सादगी से परोस देते हैं। बाली लगभग पूरे भारत वर्ष की सैर करते हुए अपने दर्शकों को भी करवा चुके हैं। भारत के बाहर फिलहाल उन्होंने केवल इंडोनेशिया, बाली की यात्रा की है।
ट्रेवल व्लॉग से इस पहले परिचय और हरीश बाली के साथ मानस पर्यटन के बाद पचीसों हमारे नए दोस्त बनते गए। 
माउंटेन ट्रेकर के वरुण वागीश, नोमेडिक इंडियन के दीपांशु, इंडियन टूर के तोरवशु, नोमेडिक शुभम के शुभम, विश्व साइकिल यात्री साइकिल बाबा के डॉक्टर राज, बंसी वैष्णव, पैसेंजर परमवीर के परमवीर, डॉक्टर यात्री के नवांकुर, मनीष कुमार सोलंकी, देसी कपल ऑन द गो के मेघा और सौरभ, आरेक्सप्लोरर के अगम्य सक्सेना, जैसे भारतीय ब्लॉगर, ट्रेवलर के अलावा अजरबैजान के दाऊद अकुजादा, जंपिंग प्लेसिस के युवा दंपत्ति, गैब्रियल ट्रेवलर, डेल फिलिप,क्रिस लुइस, डेल मैक्स,बैग पैक फैमिली का परिवार जैसे अनेक मित्रों के साथ हमने दुनिया और उसके सौंदर्य को स्क्रीन पर बहुत निकट से देखा। संसार के विभिन्न समुदायों की संस्कृति और उनकी जीवन शैली का साक्षात्कार किया। मेरा मानना है कि यदि समय और सुविधा हो तो एक बार अवश्य ही इन ब्लॉगर ट्रेवलरों के विडियोज को देखना हमारे हित में ही होगा। सुकून दायक होगा। 

आगे के मेरे आलेखों में उन सबकी अलग-अलग विशेषताओं और पर्यटन के तौर तरीकों और उनके साथ देखे, घूमे,समझे दुनिया के विभिन्न हिस्सों की बात कहने की कोशिश अवश्य रहेगी।  

ब्रजेश कानूनगो 

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