Tuesday, 30 July 2024

साइकिल पर सवार घुमक्कड़ का खानपान

साइकिल पर सवार घुमक्कड़ का खानपान 


हर व्यक्ति की कुछ नैसर्गिक जरूरतें होती हैं। वह आप हम जैसा सामान्य व्यक्ति हो या सार्वजनिक क्षेत्र का कोई विशिष्ठ व्यक्ति, नेता, अभिनेता ही क्यों न हो, रोजमर्रा के कुछ कार्य तो करना ही होते हैं। घुम्मकड़ और पर्यटक भी इनसे अलग नही होते बल्कि इन्हे तो थोड़ी अधिक ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है।   

जीवन का अधिकतम समय यात्रा, घुम्मकड़ी और पर्यटन में गुजार देने वाले दुस्साहसी ट्रैवल व्लॉगर इन सबके बीच हमारे लिए वीडियो भी बनाते हैं और दुनिया के खूबसूरत नजारों, जनजीवन के दृश्यों को हमारे टीवी, मोबाइल स्क्रीन तक पहुंचा देने का कार्य करते रहते हैं।  उन्हे देखते हुए उनके अनुभव हमारे अनुभव में बदलते जाते हैं।यह एक तरह से ब्लॉगर का रचनात्मक योगदान ही कहा जाएगा।  

घुम्मकड़ को भी अपनी यात्रा और प्रवास के दौरान भूख सताती है, अपने को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखना होता है। विदेशों में घुम्मकड़ी के दौरान खासतौर से शाकाहारी लोगों को समस्याएं आना बहुत स्वाभाविक है। चीन और कई साउथ एशियन देशों में तो हमारे यहां का सामिष याने नॉन वेजिटेरियन व्यक्ति भी मुश्किल में पड़ जाता है। अनेक जीवों से बनाए भोजन की कल्पना से ही सिहरन होने लगती है। अनेक घुम्मकड़ भारतीय रेस्टोरेंट ढूंढते हैं सर्च करते नजर आते हैं।  

जो साइकिल से घुम्मकड़ी करते हैं वे खाने का प्रबंध कैसे करते हैं,  उसके बारे में चर्चा करना बड़ा दिलचप होगा।  विश्व साइकिल यात्री साइकिल बाबा जिनका वीडियो हम देखते हैं अब तक 109 देशो की यात्रा साइकिल से कर चुके हैं। साइकिल चलाते हुए अगर रास्ते में कुछ साधन नहीं मिलता है तो सामान्यतः वे सड़क के किनारे अपना कैंपिंग कर लेते हैं, चाहे पेट्रोल पंप पर हो या कोई कैंपिंग एरिया अपना तंबू तान लेते हैं। अपने साथ में एक छोटा सा फोल्डिंग स्टोव रखते हैं, जो गैस के छोटे से गैस सिलेंडर से जुड़ जाता है। ट्रेवलर्स इसे अच्छी तरह जानते हैं, बहुत आम है। इस पर आप अपना खाना पकाना कर सकते हैं। साइकिल बाबा भी एक बर्तन रखते हैं,  कुछ ऐसी सामग्री अपने साथ रखते हैं जो रेडी टू ईट होती हैं। सब्जियां, चाय,काफी पाउच,मैगी कुछ फल भी साथ होते हैं उनके। उनकी साइकिल पर पानी की बोतलें लगाने के लिए व्यवस्था होती है। रास्ते के पेट्रोल पंप से जहां स्टोर होता है या किसी सुपरमार्केट से अपने खाने पीने का सामान थोड़ा-थोड़ा खरीद कर रखते हैं, अगले पड़ाव तक के लिए उतना ही होता है यह सब। किसी ओट के सहारे हवाओं से बचते हुए वहीं सड़क किनारे या कैंपिंग स्थान पर वहीं पर अपना खाना पकाते हैं, और खा लेते हैं। यह सब उन्हे करते हुए देखना भी बड़ा अच्छा लगता है।  थोड़े आराम के बाद या अगली सुबह फिर आगे की यात्रा पर निकल पड़ते हैं, अपनी धन्नो साइकिल पर तिरंगा लहराते हुए। 

वे कभी होटल में भी ठहर जाते हैं, कोई होम स्टे भी मिल जाता है, हॉस्टल की डोरमेट्री का भी उपयोग कर लेते हैं। सबसे दिलचस्प तो यह होता है कि पूरे विश्व में उनके भारतीय प्रशंसक और सब्सक्राइबरों का आतिथ्य उन्हे मिल जाता है। कई बार वे उन भारतीयों के परिवारों, दोस्तों के साथ भी खूबसूरत लम्हों को जीते हैं। दोस्तों के घर पर चार-पांच दिन भी रह लेते हैं। उनके साथ स्थानीय भ्रमण करते हैं, उन्ही लोगों के घर उनके साथ ही भोजन करते हैं।  यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि जब वह वहां से अगले पड़ाव के लिए यात्रा शुरू करते हैं तब मेजमान परिवार उनके साथ यथोचित भोजन भी साथ पैक करके देता है। वही पराठे,खिचड़ी या अन्य पकवान जब रास्ते में कहीं रुककर खोलते हैं तब जिस आत्मीयता से मेहमान परिवार को याद करते हैं तो बड़ी मार्मिक अनुभूति होती है।  बहुत अच्छा लगता है यह देखना कि भारतीय लोग पूरे विश्व में किस तरह से फैले हुए हैं और किसी भारतीय साइकिल यात्री का जिस प्रकार स्वागत सम्मान करते हैं, वह सचमुच देखने लायक होता है, मन को भिगो देता है।  

अफगानिस्तान, ईरान या इस तरह के अन्य देशों में जब विश्व साइकिल यात्री अपनी साइकिल से किसी हाईवे से गुजर रहे होते हैं तो अनेक कार या ट्रक चालक अपने वाहन रोक कर उनके पास चले आते हैं। बहुत से ट्रक चालक साउथ एशियन देशों के हमारे बंधु भी होते हैं जो थोड़ी थोड़ी हिंदी, उर्दू और भारतीय भाषाओं को समझते हैं, धन्नों पर तिरंगा लहराते देख साइकिल यात्री के स्वागत में प्रफुल्लित इन अजनबियों से मुलाकात गदगद कर देती है।  कोई अफगानिस्तान का होता है, कोई पाकिस्तान का होता है, बांग्लादेश का होता है कोई म्यामार का भी। जो एक दूसरे की भाषा नही जानते समझते वे भी बड़ी आत्मीयता से मिलते हैं। 

सबसे दिलचस्प तो तब होता है वे ट्रक ड्राइवर साइकिल यात्री को अपने ट्रक के पास ले जाते हैं, ट्रक में बने एक विशेष दराज को खोलते हैं तो पूरा किचन टेबल बाहर निकल आता है जहां पूरी रसोई का सामान सजा होता है। उसी पर खाना पकाना होता है और साइकिल बाबा को भी पेश किया जाता है। 

सड़क से गुजरते सद्भाव से भरे कार चालक और शुभचिंतक पानी की बोतलें और स्वल्पाहार उन्हे ऑफर करते हैं। जरूरत होती है तो वे स्वीकार लेते हैं, जरूरत नहीं होती तो धन्यवाद और मुस्कुराते हुए शुभकामनाएं व्यक्त कर देते हैं।
 
मुस्कुराहट, सद्भाव और सौहार्द्र की भाषा तो समूची पृथ्वी पर सब जानते ही हैं, साइकिल बाबा को जो निश्छल प्रेम मिलता है यह देखना सचमुच अद्भुत आनंद से हमें लबालब कर देता है। यूट्यूब पर साइकिल बाबा के नाम से उनका ट्रेवलॉग चैनल है जिसको देखते हुए हम भी कुछ हद तक उनके हमसफर बन जाते हैं और दुनिया के खूबसूरत लोगों और नजारों के  मानस साक्षी बन जाते हैं।  

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ब्रजेश कानूनगो

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