पर्यटन क्षेत्रों के बाद लोक परिवहन में केबल कार प्रणाली
पिछले दिनों नोमेडिक टूर यूट्यूब चैनल के तोरवशु का एक ट्रैवल विलॉग देखा जिसमें वे दक्षिण अमेरिका के बोलिविया देश के कैपिटल टाउन ला पॉज में घूम रहे थे, वहां के दृश्यों को निहार रहे थे। यह दुनिया के समुद्र तल से लगभग चार हजार मीटर ऊपर बसे शहरों में पहले नंबर पर है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ की एक केबल कार लाइन हर 24 घंटे में 65,000 लोगों को ले जाती है। ला पाज़ में दुनिया की सबसे लंबी मेट्रो केबल कार प्रणाली है, जो 16 किलोमीटर से अधिक लंबी है।
इस केबल प्रणाली का संजाल कोई आठ नौ लाइनों के जरिए फैला हुआ है। हर लाइन की कारों का अपना अलग रंग है, हर लाइन का अपना अलग रंग है। कोई ब्लू लाइन है तो कोई रेड लाइन, येलो, ग्रीन लाइन आदि। शहर के आसमान में हवा में तारों पर केबल कारों का एक पूरा नेटवर्क चलता है जिस पर हजारों यात्री एक स्थान से दूसरे स्थान आते जाते हैं। मेट्रो ट्रेन स्टेशनों की तरह इन लाइनों पर कई आधुनिक सुविधाओं से सज्जित साफ सुथरे जंक्शन स्टेशन हैं।
यह शहर पहाड़ों से घिरा हुआ है ,चारों तरफ बड़ा सौंदर्य बिखरा पड़ा है। पहाड़ों से घिरे इस दुर्गम शहर में मेट्रो रेल चलाना संभव नहीं था, तो वहां इस केबल कार नेटवर्क का विचार आया था तब दुनिया की यह सबसे और लंबी केबल प्रणाली अस्तित्व में आई। तोरवाशु के ट्रैवल वीडियो को देखकर बड़ा आनंद आया। हमें लगा कि पर्यटन और परिवहन में उपयोगी इस प्रणाली के बारे में थोड़ी और जानकारी प्राप्त करना दिलचस्प होगा।
पर्यटन क्षेत्र के साथ साथ अब शहरी परिवहन के लिए यह प्रणाली एक बहुत लोकप्रिय साधन के रूप में उभर रही है। केबल कारें शहरी परिवहन के एक लोकप्रिय साधन के रूप में उभरी हैं, और कई शहरों में अब इनकी अपनी प्रणाली है, उदाहरण के लिए, मेडेलिन (कोलंबिया), जेरूसलम (इजराइल), तस्मानिया (ऑस्ट्रेलिया), गोथेनबर्ग (स्वीडन), मोम्बासा (केन्या), और शिकागो (संयुक्त राज्य अमेरिका) में केबल कारें या उनके लिए योजनाएं चल रही हैं।
केबल कारें न केवल परिवहन का एक सुगम साधन हैं, बल्कि वे पर्यटकों के लिए आनंददायी और दिलकश आकर्षण भी हैं। वे अक्सर शानदार प्राकृतिक दृश्यों के साथ एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती हैं, जैसे कि ला पाज़ में केबल कार प्रणाली, जो शहर और आसपास के पहाड़ों के अद्भुत दृश्य प्रदान करती है।
कई जगह अनेक निजी केबल कार प्रणालियाँ भी अस्तित्व में आती गई हैं मसलन दुबई में पाम जुमेराह मोनोरेल दुबई के तटीय इलाके में स्थित एक निजी केबल कार प्रणाली है। लास वेगास, यूएसए में स्थित लास वेगास एरियल ट्रामवे एक अन्य प्रमुख केबल कार प्रणाली है। स्विट्जरलैंड में मैटरहॉर्न ग्लेशियर राइड एक प्रसिद्ध केबल कार प्रणाली है जो पर्यटकों को आकर्षित करती है। हांगकांग में ओशिनिया केबल कार एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। कुछ शहरों में शहरी परिवहन के लिए केबल कार प्रणालियों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि पुर्तगाल में लिस्बन केबल कार।
ये प्रणालियाँ शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी होती हैं जहां पारंपरिक परिवहन प्रणालियों का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि भविष्य में इन प्रणालियों का विकास देखा जा रहा है। शहरी गतिशीलता में सुधार और पर्यटन को बढ़ावा मिलने का रास्ता आसान हो रहा है।
विश्व में कई शहरों में अब इसकी अपनी अपनी प्रणालियाँ हैं। कोलंबिया, जेरूसलम इज़राइल, तस्मानिया ऑस्ट्रेलिया, मोंबासा केन्या और शिकागो संयुक्त राज्य अमेरिका में इन केबल कारों के लिए कई बड़ी-बड़ी योजनाएं चल रही हैं।
भारत में, पर्यटन स्थलों तक पहुँच के लिए रोपवे (रोपवे) का उपयोग बढ़ रहा है। मेरे गृह नगर देवास में बहुत दिनों का सपना था कि यहां रोप वे बनाया जाए, देवास टेकरी जो केवल 300 मीटर ऊंची है, ऊपर मंदिरों तक पहुंचाने के लिए अब रोप वे और केबल कारों की सुविधा उपलब्ध हो गई है। मैहर की माताजी है, मनसा देवी सहित कई धार्मिक तीर्थ स्थल हैं जहां श्रमसाध्य चढ़ाई की बजाए श्रद्धालुओं, दर्शनार्थियों को आसानी हो गई है। दार्जिलिंग के रंगीत वैली पैसेंजर रोपवे, जिसे दार्जिलिंग रोपवे के नाम से भी जाना जाता है, भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रसिद्ध रोपवे है। यह समुद्र तल से 7,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यात्रियों को दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों का एक अद्भुत दृश्य प्रदान करता है। इसके अलावा, अन्य पहाड़ी पर्यटन स्थलों में भी रोपवे मौजूद हैं, जैसे कि गुलमर्ग (कश्मीर) में दो-स्टेज गोंडोला और शिमला में रोपवे।उत्तराखंड के ओली, वैष्णो देवी जम्मू कश्मीर, और शिमला हिमाचल प्रदेश में यह बहुत सफल,पुरानी और बहुत लोकप्रिय केबल प्रणाली सिद्ध हुई है। सबसे उल्लेखनीय पक्ष इस प्रणाली का यह है कि इसमें कार्बन का उत्सर्जन बहुत कम होता है तो यह पर्यावरण हितैषी है, अन्य साधनों की बजाए यह कम खर्चीली और सुगम है। दो स्थानों की दूरी भी कम हो जाती है क्योंकि अन्य रास्ते घुमावदार और लंबे हो जाते हैं।
आगे की केबल प्रणाली योजनाओं के बारे में बात करें तो सरकार द्वारा ' पर्वतमाला परियोजना ' के तहत कई रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें केदारनाथ, माता वैष्णो देवी और शंकराचार्य मंदिर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल शामिल हैं। इन परियोजनाओं का उद्देश्य है तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाना है। सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे लगभग 12.9 किलोमीटर लंबा रोपवे त्रिकुटी तकनीक से बनाया जाएगा और इसकी क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा में 1,800 यात्रियों की होगी। आमेर किला-नाहरगढ़ किला रोपवे जो 6.45 किलोमीटर लंबा होगा राजस्थान में आमेर किले को नाहरगढ़ किले से जोड़ेगा। सोनमर्ग-थजीवास ग्लेशियर रोपवे 1.6 किलोमीटर लंबा होगा जो जम्मू-कश्मीर में सोनमर्ग को थजीवास ग्लेशियर से जोड़ेगा। मसूरी-केम्प्टी फॉल्स रोपवे 3.21 किलोमीटर लंबा रहेगा उत्तराखंड में मसूरी को केम्प्टी फॉल्स से जोड़ेगा।
इसके अलावा भी कई अन्य योजनाएं भी है जिनमें गंगटोक रोपवे सिक्किम में स्थित यह रोपवे कंचनजंगा पर्वत का अद्भुत दृश्य प्रदान करता है। मनाली रोपवे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली में स्थित है। वैष्णो देवी रोपवे जम्मू-कश्मीर में स्थित है। वाराणसी रोपवे उत्तर प्रदेश के वाराणसी में यह पहली शहरी सार्वजनिक परिवहन रोपवे परियोजना है।
कुछ समय पूर्व ही पढ़ने में आया था कि मध्यप्रदेश के हमारे शहर इंदौर में भी शहर की घनी बस्तियों के ऊपर से रोप वे अर्थात केबल नेटवर्क शुरू करके परिवहन को सुगम बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। यद्यपि यहां अभी देश की श्रेष्ठ सिटी बस सेवा के अलावा मेट्रो ट्रेन का चरणबद्ध निर्माण भी गति पर है। लेकिन भविष्य में केबल कार को धरातल पर लाने की इस पर्यावरण हितैषी पहल का स्वागत अवश्य किया जाना चाहिए।
ब्रजेश कानूनगो
No comments:
Post a Comment