भोजन वही जो हम चाहें, कीमत वही जो तुम चाहो
बहुत से ट्रेवल व्लॉगर्स पूर्व तैयारियों के साथ अपने वीडियो बनाते हैं। अपने हाथों में कैमेरा या मोबाइल स्टिक थामें हुए दृश्य का फिल्मांकन नहीं करते, बल्कि उनके साथ उनकी एक टीम होती है, कैमरामैन होता है, ड्रोन कैमेरा सहित आधुनिक तकनीक वाले अन्य उपकरण अपने साथ लेकर वे पूर्व निर्धारित डेस्टिनेशन या विशिष्ठ महत्व के स्थलों की सैर करते हैं। जिन ऐसे व्लॉगरों के वीडियो हम यूट्यूब माध्यम पर नियमित देखते हैं उनमें पहला नाम वीजा टू एक्सप्लोर के हरीश बाली का लिया जा सकता है।
हरीश बाली की विशेषता यह है कि वह जिस क्षेत्र में जाते हैं वहां के समूचे परिवेश पर उनकी नजर रहती है। वहां के स्थानीय खानपान के अलावा वहां के ऐतिहासिक महत्व, वहां की लोककलाएं, प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और पर्यटन को वे समग्रता से शामिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए आवश्यकता होने पर गाइड की सेवाएं लेकर भी वीडियो को असंदिग्धता और प्रामाणिकता मिल जाती है। प्रायः हरीश बाली पर्यटन विभागों के गेस्ट हाउसों या उनके द्वारा संचालित होटल में ठहरने को प्राथमिकता देते हैं। अन्यथा अन्य होटलों का चयन भी वे सूझबूझ के साथ करते हैं।
जिस क्षेत्र में वे जाते हैं तो वहां के स्थानीय भोजन का जरूर आनंद उठाते हैं। छत्तीसगढ़ जाएंगे तो वहां का भोजन करना पसंद करेंगे, उड़ीसा में जाएंगे तो उड़ीसा के स्थानीय परंपरागत, वहीं का बना, उन्हीं से बनवाया हुआ भोजन खाएंगे। मध्यप्रदेश के पचमढ़ी और कान्हा अभ्यारण्य की यात्रा में उन्होंने इसी तरह का भोजन किया। स्थानीय ग्रामीणों के हाथों का बना भोजन किया। अपने दर्शकों को वे उस भोजन के जायके और उसमें प्रयुक्त सामग्री से भी बखूबी परिचित करवाते जाते हैं। स्थानीय स्ट्रीट फूड का जायका तो हरेक पर्यटक या व्लॉगर लेता ही है। बाली भी ऐसे वीडियो बनाते हैं। जोधपुर की कचोरी प्रसिद्ध है तो वहां कचोरी खाएंगे अगर कहीं का गुलाब जामुन या पेठा मशहूर है तो उसका आनंद भी उठाना ही है। इंदौर का पोहा जलेबी, गराडू और भुट्टे का कीस कैसे छोड़ा जा सकता है।
ट्रेवल व्लॉगरों के वीडियो में खानपान के दृश्यों को देखने में भी बड़ा आनंद आता है। इसी तरह से डेली मैक्स जैसे विदेशी ब्लॉगर तो मुंबई या अहमदाबाद से केवल इंदौर में रात्रिकालीन सराफा बाजार के खाऊ बाजार के स्वादिष्ट स्वाद के लोभ में ही उड़े चले आते हैं। फिर छप्पन दुकान और इंदौर के अनेक खाऊ ठिए उन्हें तीन चार दिनों तक बांधे रखते हैं। हालांकि ये लोग ट्रेवल ब्लॉगर हैं लेकिन अपने वीडियो में खान-पान को भी बहुत महत्व देते हैं। यह सब देखते हुए दर्शक न सिर्फ भारतीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यंजन संस्कृति से परिचित हो पाते हैं।
राजस्थान के बंसी बिश्नोई जो बहुत अच्छे ट्रेवल ब्लॉगर हैं, जब चीन का दौरा करते हैं, तो उनको दो दिन तो समझ में ही नहीं आता है कि शाकाहारी भोजन कहां व कैसे मिलेगा। उन्हे बहुत परेशानी होती है तो मुंह से शब्द निकल जाते हैं, घर से जो भाभी ने लाडू (लड्डू) बनाकर साथ में रखे हैं उनसे ही काम चलाऊंगा। देखते हुए अच्छा लगा कि ये लोग भी घर की बनी चीजें अपने साथ रखकर चलते हैं। हमारे यहां तो यह परंपरा रही है कि लंबी यात्रा पर जाने से पूर्व लिट्टी, परांठे, थेपले, पूरियां साथ में मां अवश्य बांध ही दिया ही करतीं थीं। कुछ ब्लॉगर लोग अपने दो-तीन दिन के नाश्ते का सामान घर से साथ में ले कर निकलते हैं। मुझे याद है हमारी दादी दूध में गूंथे आटे की रोटियां और कैर सांगली की सब्जी यात्राओं के समय साथ लेकर चलती थीं, ये चीजें अधिक समय तक खराब नहीं होती हैं। भारतीय व्लॉगरों को भी ऐसा करते देख हम अतीत में पहुंच जाते हैं। नीदरलैंड के हमारे प्रिय सौरव और मेघा (देसी कपल ऑन द गो ) भी वेजिटेरियन हैं और खानपान के मामले में कई बार इनको बहुत दिक्कत आती हमने देखी है। ये लोग सबसे पहले सर्च करते हैं कि भारतीय रेस्टोरेंट कहां है, शाकाहारी खाना कहां मिलता है। तो वहां जाकर खाते हैं, और जब वहां भी कुछ नहीं मिलता है तो मैंने उन्हें यह भी कहते सुना कि अब तो हॉस्टल जाकर अपने को थेपले ही निकालना पड़ेंगे। गुजराती थेपला, और उसके साथ दही और दूध तो हर जगह मिल ही जाता है। तो इससे काम चलाते हैं।
वैसे समूची दुनिया में जितने रेस्टोरेंट है उनमें थोड़े प्रयास से हमको भारतीय खाना मिल ही जाता है, भारतीय कुक और खानसामें मिल जाते हैं। भारतीय भोजन और रेस्टोरेंट काफी लोकप्रिय भी हैं। कई वीडियो में देखा कि ज्यादातर शाकाहारी भोजन बनाने वाले कुक उत्तराखंड से आते हैं, कुछ नेपाल, बांग्ला देश और पाकिस्तान के भी मिल जाते हैं, हमारे साउथ इंडियन भाई भी वहां भारतीय भोजन पकाते खिलाते मिलते हैं।
विदेशी धरती पर भूख से व्याकुल किसी भारतीय को दाल मखानी, राजमा चावल, पालक पनीर, पकौड़ा कड़ी और छोला पूरी मिल जाए तो और क्या चाहिए! भोजन जो हम चाहें,कीमत जो तुम चाहो।
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ब्रजेश कानूनगो