Friday, 19 July 2024

धरती पर बिखरे इंद्रधनुष

धरती पर बिखरे इंद्रधनुष


सतरंगी इंद्रधनुष केवल आकाश में ही अपनी छटा नहीं बिखेरते। धरती पर भी ऐसे कई स्थान हैं जहां रंगों का मेला लगा है। दुनिया का वह ठंडा प्रदेश हो या उबलता भूभाग, इंद्रधनुष का सौंदर्य मन मोह लेता है। ऐसे ही दो खूबसूरत स्थलों की चर्चा आज यहां करते हैं। 

रेनबो माउंटेन
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जंपिंग प्लेसेस ट्रेवल व्लाग के युवा दंपति के साथ यूट्यूब पर हमने पेरू गणराज्य के विनिकुंका पर्वत की मानस ट्रैकिंग करते हुए खूबसूरत इंद्रधुनुषी चादर को ओढ़े जिस पहाड़ का खूबसूरत नजारा देखा उसे स्थानीय भाषा मे मोंटाना डी सिएट कलर्स कहते हैं। अंग्रेजी में पर्यटक इसे रेनबो माउंटेन के रूप में जानते हैं। हिंदी में इसे इंद्रधनुषी पर्वत कहा जा सकता है।

कुदरत का यह करिश्मा दक्षिण अमेरिका के पश्चिम भूभाग में स्थित पेरू गणराज्य की नैसर्गिक धरोहर है। सामान्यतः पेरू के इस पर्वत के तल पर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहता है और हम जब इसके शिखर तक पहुंचते हैं तो वहां का तापमान शून्य से कम होकर माइनस पांच से लेकर माइनस दस तक गिर जाता है। धरती पर दूर तक फैले इस अलौकिक सौंदर्य को देखने के लिए पर्यटक को लगभग 2 घंटे में 400 मीटर की खड़ी चढ़ाई या ट्रैकिंग करनी पड़ती है। साल के 12 महीने में से 8 महीने यह रंगीन छटा पर्यटकों का इंतजार करती रहती है। इसी दौरान दुनिया भर के लोग इसका आनंद उठाते रहते हैं। 

रेनबो पर्वत हमेशा से ऐसे नहीं थे।  बहुत पहले ये पर्वत सामान्य पर्वत ही थे जैसे आमतौर पर भूरे,काले दिखाई देते हैं लेकिन धीरे-धीरे इनकी ऊपरी सतह का क्षरण हुआ,मिट्टी हटी तो यह सतरंगी छटा ज्यामितीय रूप से रंगीन पट्टियों की शक्ल में उभर आई। समुद्र तल से लगभग 5200 मीटर ऊपर पहाड़ों पर बिखरा यह सौंदर्य अद्भुत है। इसे देखना अलौकिक अनुभव होता है। निश्चित रूप से इंद्रधनुषीय यह आभा विभिन्न खनिजों की रंगीन सतहों के कारण दिखाई देती है। यूट्यूब पर जंपिंग प्लेसेस के युवा दंपत्ति द्वारा साझा इस खूबसूरत वीडियो में ठंडे क्षेत्र के रेनबो माउंटेन की इंद्रधनुषी छटा ने हमारा मन मोह लिया है। 

डेलोल इथोपिया
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ऐसे ही एक दूसरे रंगबिरंगे नजारे को हमने दुनिया के सबसे गर्म क्षेत्र की धरती पर देखा और रोमांचित हुए। यह इंद्रधनुष भी आकाश में नहीं जमीन पर ही बिखरा पड़ा है।  दुनिया में सबसे ज्यादा गर्म रहने वाले दस स्थानों में से एक है इथोपिया का डेलोल इलाका। इस भीषण गर्म क्षेत्र में रहना, ठहरना या घूमना बहुत मुश्किल होता है।  बारहों महीने बहुत गर्मी पड़ती है। औसत तापमान 45 डिग्री के आसपास बना रहता है, लोग बताते हैं कि कभी कभी अधिकतम 59 डिग्री सेल्सियस तक भी यहां का तापमान पहुंच जाता है।  

पूर्वी अफ्रीका भूभाग के हॉर्न क्षेत्र में इथोपिया एक लैंड लॉक देश है जो सोमालिया, केन्या,सूडान जैसे अन्य देशों से घिरा हुआ है। यह बहुत पिछड़ा देश है किंतु अपने खनिज भंडारों में बहुत समृद्ध है। आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है। यहां काफी गरीबी है। डेलोल यात्रा के लिए पर्यटक को गाइड के अलावा एक गनमैन को साथ ले जाना भी अनिवार्य होता है। दरअसल इथोपिया में इसी तरह सुरक्षित पर्यटन करना आवश्यक हो जाता है। 

यद्यपि डेलोल एक बेहद गर्म स्थानो में से एक है लेकिन यह निर्जन नहीं है। कुछ जनजातियां यहां अभी भी निवास करती हैं। इस क्षेत्र की सुंदर छटा को देखने के लिए पर्यटक टूर एजेंसी के साथ ही यात्रा प्रबंधन कर पाते हैं। दरअसल यह समुद्र के सूख जाने के बाद खाली हुआ प्रदेश है, जहां नमक के मैदान हैं। आयरन, जिंक तथा अन्य खनिजों,अयस्कों युक्त मिट्टी तथा नमक के रण  का अनोखा सौंदर्य तब और बढ़ जाता है जब उसमे पीले सल्फर के स्रोत आ मिलते हैं। गर्म उबलते पानी के नीले सोते दृश्य में घुलमिल जाते हैं।  नमक के मैदाने के बीच सल्फ्यूरिक स्रोत से सल्फर की खुशबू आती रहती है। गंधक का पीला रंग फैलता हुआ नीला, पीला, हरा, लाल, केसरिया में बदलता, घुलता मिलता जाता है। यह इंद्रधनुष हम नमक के मैदान के साथ-साथ चलते हुए अनुभव करते हैं। आगे जाकर सल्फर का पूरा स्रोत सुंदरता बिखेरता फैल जाता है। यहां एक झील भी है छोटी सी जिसमें हल्का एसिडिक पानी है। दरअसल यह एक ऐसा सतरंगी दृश्य होता है जिसे देख हम चकित हो जाते हैं।
  
डेलोल की यह रोमांचक मानस यात्रा हमने बहुत प्रिय ब्लॉगर नोमेडिक इंडियन के दीपांशु और नोमेडिक शुभम के शुभम के साथ की थी। हाल ही में हमने फिर से इस स्थान की सैर और उसकी स्मृति को राजस्थान, गुजरात बॉर्डर के निवासी व्लॉगर बंसी वैष्णव के विडियोज के साथ ताजा की। 

धरती पर बिखरे इंद्रधनुष के खूबसूरत नजारे दुनिया में और भी कई रूपों में मिल जाते हैं, कहीं फूलों के रंग हैं तो कहीं पानी के। कहीं मिट्टी, चट्टान, वनस्पति और खनिजों के रंग बिखरकर मन मोह रहे हैं। यही इस धरती का, प्रकृति का मनुष्य जाति को बहुमूल्य उपहार है, इसे सहेजने का दायित्व हमारा ही है। तरीका चाहे जो हो किताबों में, वीडियो में या फिर अपनी स्मृतियों में इसे हमेशा के लिए संग्रहित कर लिया जाना चाहिए।  

ब्रजेश कानूनगो 

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