Thursday, 18 July 2024

पर्यटन में काउच सरफिंग और हिच हाइकिंग

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पर्यटन में काउच सरफिंग और हिच हाइकिंग 


यूट्यूबरों के पर्यटन वीडियो देखते हुए बहुत सारी नई चीजों से परिचय होता रहता है। पर्यटन वृतांत को देखते सुनते हुए नए शब्द और संदर्भ भी मिलते हैं। विषय से संबंधित विशिष्ठ शब्दावली का विकास भी हो जाता है। 
बहुत संभव है मेरे लिए जो नया हो वह दूसरों को शायद उतना नया न भी लगे। इन सब बातों की चर्चा में किसी की अधिक रुचि हो न हो किंतु  मुझे इस तरह बहुत कुछ सीखने समझने को मिल रहा है।  जानकारी इकट्ठी करने में बहुत सा नया पढ़ने को मिल रहा है। 

कैसे कैसे सैलानी
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पर्यटक भी कई तरह के होते हैं। कई तरीकों और साधनों से वे अपनी यात्राओं और पर्यटन का प्रबंधन करते हैं। कुछ ट्रेवलर्स अकेले-अकेले यात्रा करते हैं, पीठ पर एक बैग लादकर सैर को निकल पड़ते हैं। इन्हे सोलो या एकल बैग पैकर्स  कह सकते हैं। कई युवा, प्रौढ़ युगल भी अपने अपने पिट्ठुओं को लादे पूरी दुनिया को नापने निकल पड़ते हैं। कुछ समूहों में यात्रा और पर्यटन करते हैं। पूर्व निर्धारित किसी टूर प्रोग्राम के अंतर्गत एक साथ घूमते हैं, साथ में उनका एक गाइड होता है। जिसकी अगुवाई में पर्यटकों का दल एक साथ दुनिया की खूबसूरती और धरोहरों को निहारता है।  चीन में समूह में पर्यटन करना बहुत लोकप्रिय है, हमारे यहां भी जैसे धार्मिक पर्यटन के लिए कई बार समूहों के लिए ऐसे टूर प्रोग्राम संचालित होते रहते हैं।  
लेकिन हम यहां उन सैलानियों की बात यहां कर रहे हैं जो लगभग बारहों महीने घर से बाहर रहते हुए नित्य पर्यटन पर बने रहते हैं। कुछ पर्यटक अपने परिवार के साथ ट्रैवल करना पसंद करते हैं।  बच्चों के साथ जिसमें पति-पत्नी और उनके बच्चे होते हैं। हमने एक ऐसे ही परिवार के साथ भी मानस यात्राएं करीं जिनका व्लॉग ' बैग्स पैक्ड फैमिली ' के नाम से है, दोनों पति-पत्नी जिनके अलग-अलग उम्र के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं पूरा परिवार मौज मस्ती के साथ घूमता रहता है।  हमें यह समूह बहुत अच्छा लगा इनको हम अक्सर देखते हैं।  कई बार कुछ सोलो ट्रेवलर्स कई स्थानों पर जब मिलते हैं तो कपल ट्रेवलर्स की तरह हो जाते हैं और साथ-साथ यात्राएं करते हैं, अपने अपने अलग वीडियो बनाते हैं। मसलन दीपांशु और शुभम गोबी डेजर्ट में साथ साथ यात्रा करते हैं, उनका साझा संघर्ष देखते ही बनता है। डॉक्टर यात्री के नवांकुर और सेंटी भाई अपने सोलो ट्रैवल तो करते हैं लेकिन यूएसए में कई जगह साथ हो जाते हैं। आगे कभी आपको अंटार्कटिका की यात्रा के संदर्भ में बताऊंगा तब कैसे नवांकुर के साथ एक पंजाबी ट्रेवलर उनके साथ यात्रा करते हैं। ये यात्राएं और अधिक दिलचस्प हो जाती हैं। 

काउच सरफिंग 
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इन्ही विडियोज को देखते हुए पर्यटन क्षेत्र के संदर्भ में दो नए शब्द मिले, एक है ' काउच सरफिंग ' और दूसरा है ' हिच हाइकिंग '। 
ये दोनो टर्म्स या शब्द आपको बहुत बार सुनाई देंगे। दोनों को जान लेना काफी दिलचस्प होगा।  

पहले हम काउच सरफिंग की बात करते हैं। जब हम बहुत छोटे थे, बचपन के दिनों में इलाहाबाद, वाराणसी आदि से हमारे घर एक पंडा जी पधारते थे।  हमारे यहां ही रुकते, बैठक के फर्श पर एक दरी या चटाई बिछाकर दिन में पूजा पाठ करते, दोपहर को नगर भ्रमण को चले जाते। फिर शाम को पूजा पाठ, ध्यान आदि करके उसी चटाई या दरी पर रात्रि शयन करते। खाना पीना खुद अपना बनाते हमारी ही रसोई में। थोड़े दिन बाद वे किसी और मेहमान के यहां अतिथि हो जाते थे।  

पंडा जी के उस प्रवास को आज की पर्यटन भाषा में हम काउच सरफिंग कह सकते हैं।  आमतौर पर  काउच सरफिंग में पर्यटक पूर्व सूचना पर ही आता है। उसको ठहरने का स्थान चाहिए होता है, दैनिक कार्यकलापों के साथ भ्रमण करके आगे निकल जाता है, किसी दूसरे घर की तलाश में, किसी दूसरे मुकाम पर किसी दूसरे होस्ट के यहां।  देश विदेश के ट्रैवलर्स एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं और इस तरह से काउच सरफिंग के माध्यम से अपने भिन्न देशों में एक दूसरे के अतिथि होते हैं।  कई बार पूरा-पूरा घर ही होस्ट अपने गेस्ट को सौंप कर चाबी थमाकर निश्चिंतता से अपने काम पर चले जाते हैं। 

काउच सरफिंग, होम स्टे से एक मायने में बिल्कुल अलग है। इसमें मेहमान पर्यटक, मेजमान और उसके परिवार के साथ ही रहता है, उठता,बैठता,खाता पीता है। 

अक्सर मेजबान और मेहमान दोनों अलग-अलग देश के होते हैं,उनकी अलग-अलग भाषा होती है, अलग-अलग खान पान और जीवन शैली होती है तब पर्यटक उनके साथ रहकर नए अनुभव को भी प्राप्त करता है। उसके बनाए वीडियो से हम जैसे दर्शक भी उस अनुभूति से गुजरते हैं। 

पर्यटन के क्षेत्र में इस काउच सरफिंग का महत्व सन 2004 से बहुत बढ़ गया।  उसका कारण यह है कि इस साल एक वेबसाइट लांच हुई थी।  जिसके माध्यम से पर्यटक एक दूसरे के संपर्क में बने रहते हैं। उसका लाभ उठाते हैं। 

बहुत से ट्रेवलर्स काउच सरफिंग करते हैं।  सोलो ट्रेवलर दीपांशु नॉर्थ ईस्ट में चकमा जाति के लोगों के बीच उनके घर में बहुत दिनों तक रहे थे।  उनके साथ ही खाना खाया उनके बीच ही रहे।  अद्भुत अनुभव था।  उनके साथ रहकर नॉर्थ ईस्ट के जनजाति परिवार के जीवन को जानना। उनकी खुशियों, कठिनाइयों का भागीदार बनना। 
इसी तरह इंडियन टूर व्लॉग के तोरवशु ने किसी ग्रामीण रूसी या चीनी होस्ट के फॉर्म पर कुछ दिन बिताए थे।  उनके यहां रहकर अनुभव प्राप्त किया कि चीन में या रूस के गांव में किस तरह से जीवन होता है। उज़्बेकिस्तान के एक गांव में व्लॉगर बंसी वैष्णव काउच सरफिंग करते हैं।  उन्होंने अनुभव प्राप्त किया कि किस तरह से घोड़ों को चराया जाता है, कैसे घोड़ियों का दूध दुहा जाता है, कैसे घोड़े पर बैठकर चारागाह में घोड़ा समूह को संभाला जाता है। खेतों में कैसे फसल की देखभाल की जाती है।  

काउच सर्फिंग में एक चीज यह भी देखी गई है कि कुछ बेघर लोग सरफिंग के बहाने एक अपना अस्थाई आश्रय तलाशते रहते हैं, लेकिन यह पर्यटक के लिहाज से ठीक नहीं कहा जा सकता। ज्यादातर इसकी सकारात्मक उपयोगिता ही रही है। और इसका  नए विकल्प के रूप में बहुत महत्व बना है। 

हिच हाइकिंग 
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यात्राओं के लिए पर्यटक कई प्रकार से, कई साधनों से अपनी यात्रा का प्रबंधन करते हैं। 
विश्व यात्री डॉक्टर राज अपनी साइकिल से पूरे विश्व की यात्रा पर निकले हुए हैं। कुछ यात्री मोटरसाइकिल से करते हैं, कुछ एयरवेज से अन्य देशों में पहुंचकर स्थानीय लोक परिवहन, टैक्सी ट्राम, बुलेट ट्रेन आदि से दर्शनीय या पर्यटन स्थलों तक पहुंचते हैं। बहुत से ग्रेब्रियल ट्रेवलर की तरह खूब पैदल चलते हैं, ट्रेकिंग करते हैं। कुछ यात्री जिसे हम हमारे यहां लिफ्ट लेकर यात्रा करना कहते हैं वैसी भी अनुरोध यात्रा करते हैं। गुजरती कारों और वाहनों को इशारों से रोककर उनसे गुजारिश करते हैं। इसमें सेवा का पैसा नहीं दिया जाता। मुफ्त सेवा की आकांक्षा और अनुरोध सर्वोपरि होता है। इसे ही पर्यटन के क्षेत्र में हिच हाइकिंग कहा जाता है।  

हिच हाइकिंग का अपना बहुत अलग ही आनंद है। आप अपरिचित देश में अपरिचित लोगों के बीच सड़क के किनारे खड़े होकर हाथ दिखाते हुए उनसे अनुरोध करते हैं कि हमें अगले किसी मुकाम तक जहां तक भी जा रहे हैं या अगर वह हमारे डेस्टिनेशन तक जाने वाला हो तो वहां तक या जहां तक उसे सुविधा हो अपने वाहन में ले चले। 
आमतौर पर हिच हाइकिंग के अभिलाषी पर्यटक सड़क किनारे या पेट्रोल पंप पर खड़े हो जाते हैं, जहां उन्हें ज्यादा से ज्यादा वाहन उपलब्ध हो सकें। बहुत सी बार अपनी होटल से टैक्सी कर के वे हाई वे तक पहुंचते हैं और वहां से किसी बड़े ट्रक, ट्राला, कार या जो भी साधन इनको मिलता है, उसको रोकते हैं।  कई बार कुछ रोक लेते हैं, कुछ नहीं रोकते, कुछ ले जाते हैं, कई नहीं भी ले जाते।  इसमें पर्यटक को बहुत धैर्य रखना पड़ता है।  कई बार पांच मिनट में उनको सुविधा मिल जाती है, कई बार घंटे बीत जाते हैं इंतजार करते हुए और कई बार खाली हाथ वापस होटल लौटना पड़ता है।  लेकिन उनका लक्ष्य यही होता है उस दिन कि हमको आज किसी भी हालत में हिच हाइकिंग ही करना है। 

इसमें बड़ा मजा आता है।  मान लीजिए चीन में यात्रा कर रहे हैं, जापान में यात्रा कर रहे हैं, हिच हाइकिंग के लिए खड़ा है कोई इंडियन। वह क्या करेगा? बहुत मुश्किल है, कोई रोकता नहीं, भाषा समझता नहीं। तब पर्यटक  एक पोस्टर बनाता है और उसे स्थानीय भाषा में किसी स्थानीय व्यक्ति से अपने अगले पड़ाव का नाम 
 बड़े-बड़े अक्षरों में लिखवा लेता है। पोस्टर थामकर खड़े हो जाते हैं सड़क किनारे। कोई दयालू समझदार व्यक्ति सहायता कर ही देता है। कोई ट्रक मिल जाता है या कुछ और वाहन मिल ही जाता है।  उसमे बैठा लेते हैं चालक महोदय।  फिर तो नजारा ही कुछ और होता है। जो रिश्ता कायम होता है खास तौर से ट्रक ड्राइवर और ट्रैवलर के बीच में वह देखना बहुत सुकून देता है।  रेल यात्रियों की तरह ही ट्रक ड्राइवर और उनका स्टाफ उस ट्रैवलर के साथ इतने घुल मिल जाते हैं कि खाना पीना तक उनके साथ ही होने लगता है। कई बार ट्रेवलर को ड्राइवर अपने घर ले जाता है। परिवार के साथ रखता है। एक पर्यटक ने तो उसके परिवार के बीच पूरे तीन दिन स्थानीय विवाह समारोह में बिताए। 

काउच सरफिंग और हिच हाइकिंग के बहुत ही रोमांचक और मार्मिक प्रसंगों को इन विडियोज के जरिए हमने खूब देखा है और भीतर बाहर भीगते भी रहे हैं। ये अद्भुत अनुभव हैं हमारे। अविस्मरणीय और प्रेरक भी। 

ब्रजेश कानूनगो 
 

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