सड़क मार्ग से लंदन का सफर
मार्च महीने में हमारे यहां गेहूं की फसल लगभग पकने को आई थी, हम लोग ड्रीम चेसर यूट्यूब चैनल के विलोगर अंकित के नार्वे, स्वीडन और स्विट्जरलैंड की यात्रा के वीडियो देख रहे थे। कहीं बरसात थी तो कहीं भारी बर्फबारी के बीच से वे अपनी मोटर बाइक से रोमांचक यात्रा कर रहे थे। मौसम और बर्फबारी से रास्ते बंद हो जाने पर कभी कभी अपनी बाइक उन्हें किसी ट्रेलर पर लाद कर अगले गंतव्य तक ले जानी पड़ी। शायद कुछ जगह फैरी पर भी चढ़ाना पड़ा ताकि समुद्र का हिस्सा पार किया जा सके। अंडर वाटर कैनल और रास्तों से तो वे ही बाइक चलाकर रोमांचित करते रहे।
भारत में जब गेहूं की फसल और चने की फसल आती है, गर्मियों का मौसम आने को होता है तब दुनिया के दूसरे देशों में इस वक्त क्या हो रहा होगा? वहां कौन सी फैसले आ रही होगी? कैसा मौसम होगा? यह सब बातें अब हमको इंटरनेट के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से पता चलती रहती है। एक तरह से देखा जाए हमारे यहां जो वसुधैव कुटुंबकम का सूत्र बार-बार दोहराया जाता है कि पूरी दुनिया एक परिवार है, सोशल मीडिया के ट्रैवल वीडियो देखते हुए महसूस होने लगता है।
दरअसल पिछले दिनों वर्ल्ड बाइक ट्रैवलर अंकित (डीम चेज़र) ने अपने महत्वाकांक्षी स्वप्न इंडिया टू लंदन यात्रा अपनी बाइक (चार्ली ) के साथ वर्ष 2024 के नवंबर माह की 24 तारीख को पूर्ण कर लिया। हमने इस यात्रा के लगभग उनके सारे वीडियोस हाल ही में देखे हैं। जो अब उनके चैनल पर लोड किए जा चुके है। यूरोप और ब्रिटेन के लगभग 24 देशों से गुजरते हुए 110 दिनों में 20000 किलोमीटर लंबी इस यात्रा को लंदन के प्रसिद्ध टावर ब्रिज पर समाप्त करते हुए उनके चेहरे पर असीम खुशी और सुख को देखा जा सकता है।
हम जैसे दर्शकों ने भी उनकी इस संघर्षपूर्ण और रोमांचक यात्रा को घर बैठे सीधे आत्मसात कर अनुभव किया। खासतौर से नार्वे, स्वीडन,इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम और स्विट्जरलैंड के वीडियो तो अप्रतिम हैं। वहां बिखरा सौंदर्य अद्भुत है। उनके कैमरे से जब पहले देखा स्विट्जरलैंड देख रहे हैं तो ऐसा नहीं लगता है कि एक बार देख लिया तो अब क्या देखना। हर व्यक्ति का अपना स्वीटजरलैंड होता है, हर व्यक्ति का अपनी दृष्टि और प्रस्तुति की अलग स्टाइल होती है। हर बार दर्शक को एक अलग नया सुख मिलता है।
संयोग से स्विट्जरलैंड में अंकित जिस परिवार के यहां रुकते हैं उन्होंने बरसों पहले सड़क मार्ग से लंदन से भारत की यात्रा की थी। जिस दौर में न इंटरनेट था न गूगल मैप, न पर्याप्त साधन और सुविधाजनक सड़क मार्ग थे, तब यात्रा की कठिनाइयों और संघर्षों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में भारत से लंदन की सड़क यात्रा के बारे में जानना कम दिलचस्प नहीं होगा। अंकित की ट्रैवल वीडियो सीरीज ने जब हमारी उत्सुकता जगा दी है तो कुछ जानकारियां जुटाने की इच्छा हो गई।
अनेक ट्रैवलर्स और ओम द्विवेदी जैसे आध्यात्मिक पदयात्री और डॉ राज (साइकिल बाबा) जैसे विश्व साइकिल यात्री आज भी कठिनाइयों का सामना करते हुए जमीनी यात्रा करते रहे हैं। अतीत में कई बार दो भिन्न देशों के बीच तथा भारत और लंदन के बीच अनेक देशों से गुजरता हुआ बसों का भी संचालन दुर्गम और लंबे सड़क मार्गों से होता रहा है।
सन् 1957 में ओसवाल्ड-जोसेफ गैरो फिशर ने 'इंडियामैन' नाम से एक बस सर्विस शुरू की थी। यह बस 15 अप्रैल 1957 को लंदन के विक्टोरिया कोच स्टेशन से कोलकाता के लिए रवाना हुई थी। बस 5 जून को कोलकाता पहुंची थी और 2 अगस्त 1957 को लंदन के लिए वापसी के लिए रवाना हुई।
लंदन से कोलकाता तक जाने का किराया उस वक्त 85 पाउंउ था और वापसी का किराया 65 पाउंड तय किया गया था। ये बस फ्रांस, इटली, युगोस्लाविया, बुल्गारिया, तुर्की, ईरान और पाकिस्तान से होती हुई भारत आई थी। बस 16 दिन देरी से भारत पहुंची थी। कहते हैं कि ट्रिप के दौरान यात्रियों को होटल या फिर कैंप में रुकना होता था। बस को भारत आने में देर इसलिए हो गई थी क्योंकि एशिया में फ्लू महामारी फैली थी और इसकी वजह से इसे पाकिस्तान-ईरान बॉर्डर पर रोक दिया गया था। लाहौर, रावलपिंडी, काबुल, कंधार, तेहरान, विएना और ऐसे कई खूबसूरत देशों का रास्ता तय करती हुई ये भारत पहुंचती थी। हालांकि वापसी में सिर्फ 7 यात्री ही भारत से लंदन गए।
ये बस गंगा, ताज महल, राजपथ, राइन घाटी और पिकॉक थ्रोन से गुजरती थी। उस समय यात्रियों को नई दिल्ली, तेहरान, साल्जबर्ग, इस्तानबुल और विएना में फ्री शॉपिंग करने का मौका भी मिला था। बस में स्लीपिंग कंपार्टमेंट्स तो थे ही साथ ही साथ पंखे और यहां तक कि म्यूजिक का भी इंतजाम था। उस सेवा को आज तक सबसे सुविधाजनक करार दिया जाता है क्योंकि उस समय पूरी दुनिया में सड़कों की हालत बेहद खराब थी।
बस में सवार एक यात्री पीटर मॉस, जिनकी उम्र उस समय 22 साल थी, वो लंदन वापस नहीं गए थे। उन्होंने समुद्र के रास्ते अपना सफर पूर्व में मलेशिया में जारी रखा। उन्होंने एक डायरी भी लिखा जिसका टाइटल था, 'द इंडियामैन' और इसमें उन्होंने सफर की काफी अच्छी जानकारी दी थी। इस सफर के पूरा होने के बाद ये बस तीन और सफर पर निकली थी। सन् 1960 तक इस तरह की रोड ट्रिप्स हिप्पीस के बीच काफी लोकप्रिय हो गई थीं। वो ऐसे ही सफर पर भारत आने लगे थे। सन् 1970 में कई राजनीतिक और सैन्य संघर्षों ने रास्तों को काफी खतरनाक बना दिया था। इसलिए इसे बंद करना पड़ गया था।
कुछ समय पूर्व कहीं पढ़ने में आया था कि अब फिर से ये सफर शुरू होने वाला है। भारत के एक टूरिज्म ऑपरेटर एडवेंचरस ओवरलैंड ने दिल्ली से लंदन तक की 70 दिनों की यात्रा शुरू करने का ऐलान किया है। ये बस पोलैंड, रूस, कजाख्स्तान, चीन और म्यांमार के रास्ते लंदन पहुंचेगी। दिल्ली से लंदन अक्सर लोग फ्लाइट से जाते हैं ऐसे में सड़क के रास्ते दिल्ली से लंदन जाना शायद अब उतना जोखिम भरा और कष्टदायक नहीं रहे जो पहले के समय में हुआ करता था। उम्मीद करें कि विश्व के देशों के बीच कोई तनाव न रहे, शांति और वसुधैव कुटुंबकम् की धारणा हमेशा बनी रहे! आमीन!
ब्रजेश कानूनगो
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