Tuesday, 6 May 2025

पर्यटकों को लुभाते अनोखे पेड़

पर्यटकों को लुभाते अनोखे पेड़


गत दिनों हमने ट्रैवलर बंसी विश्नोई के कुछ ट्रैवलॉग वीडियोस को यूट्यूब पर देखा। वे दक्षिण अफ्रीका महाद्वीप के नजदीक स्थित द्वीप देश मेडागास्कर में भ्रमण करते हुए वहां के जनजीवन और खास विशेषताओं और दृश्यों को बहुत नजदीक से फिल्माते हुए भारत में हम जैसे दर्शकों के लिए वहां का लुत्फ उठाना संभव कर रहे थे।

मेडागास्कर गणराज्य हिन्द महासागर में विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है। यहाँ विश्व की पाँच प्रतिशत पादप वनस्पति और जीव प्रजातियाँ मौजूद हैं। इनमें से 80 प्रतिशत केवल मेडागास्कर में ही पाई जाती हैं।
दरअसल पादप या पौधे जीवित प्राणियों का एक समूह है, जो अपना भोजन सूर्य की ऊर्जा से बनाते हैं। ये जीवित प्राणी मिट्टी से पानी और पोषक तत्व लेते हैं और हवा से कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं। पौधे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने सिद्ध किया था कि वनस्पति में भी जीवन प्राण होते हैं। ये पादप उन्हीं प्राणवान वनस्पतियों का ही रूप कहा जा सकता है। 

ट्रैवलर बंसी वैष्णव अपनी यात्रा में एक ऐसे क्षेत्र में जाते हैं जहां ऐसी ही अनोखी वनस्पति और पेड़ों की बहुतायत थी। पर्यटकों के लिए उस क्षेत्र में खासतौर से व्यवस्थाएं की गईं थीं। अपने अनोखे और दुनिया में अन्य जगह दुर्लभ बाओ बाब पेड़ की प्रजातियों को यहां देखना बहुत रोमांचित करता है। यह पेड़ अपने मोटे तनों और अनोखे आकार के लिए प्रसिद्ध हैं। ये पेड़ अपने विशाल आकार और लम्बी उम्र के लिए जाने जाते हैं, कुछ बाओबाब पेड़ों की उम्र 1000 साल से भी अधिक होती है।
बाओबाब पेड़ों के अलावा रफ़िया पाम जो एक प्रकार का पाम पेड़ है और इसके पत्तों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। टमाल पेड़ एक ऐसा पेड़ है, जो  जिसके बीजों का उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है। मेडागास्कर में ऑर्किड की भी कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो अपनी सुंदरता और विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं।

मेडागास्कर में बंसी विश्नोई के कैमरे से दैत्याकार बाओ बाब पेड़ों को देखकर सहज जिज्ञासा हुई कि क्या ये पेड़ हमारे देश में भी कहीं पाए जाते हैं ? मैने कई बार ऐतिहासिक और पर्यटन केंद्र मांडू (मध्यप्रदेश) की सैर की थी, तब मुझे वहां एक खास प्रकार के बड़े फल को खाने का मौका मिला था, जिसे स्थानीय भाषा में मांडू की इमली कहा जाता है। कबीट या नारियल जैसे इस फल के भीतर से खट्टा मीठा गुदा निकलता है। इसके विशालकाय पेड़ भी वहां देखे थे। बाओ बाब पेड़ों  को बंसी जी के ट्रैवल वीडियो में देखकर लगा कि मांडू की इमली के पेड़ भी संभवतः इसी प्रजाति के हैं। थोड़ी जानकारी जुटाई तो यह सच भी निकला कि खुरासानी इमली के ये पेड़ उसी प्रजाति के हैं। कुछ ऐसे ही पेड़ सिवनी के वनों में भी पहचाने गए थे। 

बाओ बाब के अलावा भी दुनिया में ऐसे कई अद्भुत पेड़ हैं जो अपनी अनूठी विशेषताओं और प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। जैसे ड्रैगन ब्लड ट्री (यमन), बॉटल ट्री (नामीबिया), और रेनबो यूकेलिप्टस (अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया)। 
यमन के सोकोट्रा द्वीप पर पाए जाने वाले ड्रेगन ब्लड ट्री की छाल का रंग खून के समान लाल होता है। इस पेड़ का रस भी लाल रंग का होता है और इसे पारंपरिक रूप से एक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।  
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया के ब्लू माउंटेन्स में पाए जाने वाले  वालामी पाइन पेड़ को जीवित जीवाश्म माना जाता है क्योंकि यह 200 मिलियन साल से भी अधिक पुराना है।  
बहरीन के जियाज द्वीप पर स्थित ट्री ऑफ लाइफ पेड़ अपने अजीब और अनोखे रूप के लिए जाना जाता है। यह पेड़ बिना किसी पानी के स्रोत के जीवित रहने में सक्षम है। दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका के रेनबो यूकेलिप्टस पेड़ की छाल विभिन्न रंगों के साथ आती है, जिससे यह एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। साउथ कैरोलिना के जॉन्स आइलैंड पर स्थित एंजल (यूएसए) ओक पेड़ 1,500 वर्षों से अधिक पुराना है। यह पेड़ अपनी विशाल छतरी के लिए प्रसिद्ध है।   न्यूज़ीलैंड की वानाका झील के पास स्थित वानका एक अकेला विलो पेड़ अपने घुमावदार स्वरूप और शांत झील के पानी पर मोहक प्रतिबिंब के लिए बहुत प्रसिद्ध है।  कंबोडिया तथा दक्षिण पूर्व एशिया का सिल्क कॉटन ट्री पेड़ की छाल और पत्तियां रेशम की तरह नरम होती हैं। इसलिए इसे सिल्क कॉटन ट्री कहा जाता है। बहुत लोकप्रिय पेड़ हैं। 

भारत का सबसे बड़ा वट वृक्ष कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में स्थित है, जिसे द ग्रेट बयाइन ट्री के नाम से जाना जाता है।  यह बरगद का पेड़ 250 साल से अधिक पुराना है और 14,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।  यह वट वृक्ष दुनिया का सबसे चौड़ा बड़ा बरगद का पेड़ माना जाता है। इसकी 3,372 से अधिक जटाएं हैं जो जमीन में जड़ें डाल चुकी हैं। एक जंगल की तरह दिखता है यह पेड़ और 87 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का बसेरा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है  लोग इसे 'वॉकिंग ट्री' भी कहते हैं। 1884 और 1987 में आए चक्रवाती तूफानों ने इस पेड़ को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन यह फिर भी जीवित है।

वनस्पति और वृक्षों के गुणों के कारण भारत में उनका औषधीय, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व हमेशा से रहा है। पेड़ों में आस्था व्यक्त करते हुए उनकी पूजा करना भारतीयों के संस्कार में शामिल हैं। बरगद को भारत का राष्ट्रीय वृक्ष माना जाता है, जबकि पीपल को धार्मिक महत्व दिया जाता है, और नीम को अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।

जब हम घर बैठे घुमंतुओं के यूट्यूब ट्रैवल वीडियो देखते हैं तो न सिर्फ दुनिया के लोगों, प्राणियों और वनस्पति को जानते हैं बल्कि कुदरत के करिश्में और प्रकृति का अप्रतिम सौंदर्य भी हमें अभिभूत कर देता है। धन्यवाद प्रिय विश्व यात्रियों। शुभकामनाएं!

ब्रजेश कानूनगो  
  

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