सफेद महाद्वीप की रोमांचक सैर
अंटार्कटिका, जिसे 'सफेद महाद्वीप' भी कहा जाता है, पृथ्वी का पाँचवाँ सबसे बड़ा महाद्वीप है, जो दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है। यह दुनिया का सबसे ठंडा, शुष्क और हवादार महाद्वीप है, जो दक्षिणी महासागर से घिरा हुआ है। अंटार्कटिका में गर्मियों के दौरान, सूर्य कभी नहीं डूबता है, और सर्दियों के दौरान, सूर्य कभी नहीं उगता है।अंटार्कटिका में कई झीलें हैं, जिनमें से कुछ बर्फ के नीचे भी हैं। अंटार्कटिका का लगभग 98% हिस्सा मोटी बर्फ की चादर से ढका हुआ है, जिसमें पृथ्वी के ताजे पानी का लगभग 75% हिस्सा मौजूद है। यहां औसत वार्षिक वर्षा लगभग 2 इंच से भी कम होती है, दरअसल यह एक बर्फीला रेगिस्तान है। अंटार्कटिका पृथ्वी पर सबसे ऊंचा महाद्वीप है, जिसकी औसत ऊंचाई 8,200 फीट (2500 मीटर) है। यहां विशिष्ट वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे पेंगुइन, सील और व्हेल।
अंटार्कटिका के निर्माण की भी एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है, जो लगभग 4.5 अरब वर्ष पूर्व से शुरू हुई थी। पृथ्वी पर लगभग 550 मिलियन वर्ष पूर्व, गोंडवाना नामक एक महाद्वीप का निर्माण हुआ था, जिसमें अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, और अंटार्कटिका आदि का भूभाग शामिल था।
बाद में लगभग 180 मिलियन वर्ष पूर्व, गोंडवाना का टूटना शुरू हुआ, और अंटार्कटिका धीरे-धीरे खिसकता हुआ सुदूर दक्षिण में पहुँच गया। लगभग 25 मिलियन वर्ष पूर्व, अंटार्कटिका पूरी तरह से अन्य महाद्वीपों से अलग हो गया और अपनी वर्तमान स्थिति में पहुँच गया। 34 मिलियन वर्ष पूर्व, अंटार्कटिका में बर्फ का निर्माण शुरू हुआ, जिसने धीरे-धीरे पूरे द्वीप को ढक लिया। आज, अंटार्कटिका का लगभग 98% भाग बर्फ से ढका हुआ है।
अंटार्कटिका महाद्वीप इस पृथ्वी पर एक मात्र ऐसी जगह है जहां शायद ही कोई भी मनुष्य स्थाई रूप से निवास करता हो। यहां जो भी व्यक्ति पहुंचता है वह या तो किसी अनुसंधान के उद्देश्य या फिर अब जब दुनिया के इस बिरले हिस्से पर पर्यटकों की रुचि जागृत हो गई है, तब बड़ी राशि खर्च कर किन्हीं टूर ऑपरेटरों के माध्यम से कुछ दिनों में यहां के नजारों को देखता है। यहां के हिमशैलों और जीवों को बहुत नजदीक से देखकर रोमांचित होता है। अंटार्कटिका की ये पर्यटन यात्राएँ मुख्य रूप से दर्शनीय स्थलों के आनंद और वन्यजीवों के अवलोकन के साथ साथ मनोरंजक एवं ऐश्वर्यपूर्ण व सुकूनभरे सुविधाजनक पर्यटन पर केंद्रित होती हैं।
इस सुदूर महाद्वीप की यात्रा, जिसने 1966 में पहले आधुनिक पर्यटक अभियान के बाद लोकप्रियता हासिल की, आमतौर पर दिसंबर से फरवरी तक दक्षिणी गोलार्ध के गर्मियों के महीनों के दौरान होती है। पर्यटक कई तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, जैसे कि कयाकिंग, स्कीइंग और कैंपिंग, जिनका नेतृत्व अक्सर अनुभवी गाइड करते हैं, जिनमें पूर्व शोधकर्ता भी शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय अंटार्कटिका टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (IAATO) द्वारा प्रबंधित नियम लागू हैं, जो जहाजों के आकार और लोकप्रिय स्थलों पर आगंतुकों की संख्या को सीमित करके जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं को सुनिश्चित करते हैं।
हाल के वर्षों में, अंटार्कटिक पर्यटन में रुचि बढ़ी है, 2022-2023 सीज़न में 105,000 से अधिक आगंतुकों ने रिकॉर्ड दौरा किया है, जो साहसिक और पारिस्थितिक पर्यटन की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है। ट्रैवल ब्लॉगर नवांकुर चौधरी ( डॉक्टर यात्री) के ट्रैवल वीडियो श्रृंखला के माध्यम से हमने उनके साक्षात अनुभवों को अपने को आभासी रूप से महसूस करने की कोशिश की है।
नवांकुर ने अपनी यह यात्रा अर्जेंटीना के उशआइया पोर्ट से वर्ल्ड ट्रैवल कंपनी के बड़े क्रूज से की। इस संपूर्ण यात्रा के लिए उन्हें कुल साढ़े आठ लाख रुपयों का भुगतान करना पड़ा। हालांकि इस में कुछ खास गतिविधियों के अलावा सारी व्यवस्थाएं और पर्यटन गाइड व साधन शामिल थे। इस बड़े जहाज में सात मंजिलें थी जिनमें रेस्टोरेंट, पुस्तकालय, इनडोर गेम्स, स्वीमिंगपूल , जिम,बार, ऑडिटोरियम आदि के अलावा छत पर एक हेलीपेड भी स्थित था। कमरों में सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ एक खुली गैलरी भी थी जहां बैठकर समूची यात्रा का आनंद उठाया जा सकता था। नवांकुर के साथ एक अन्य सिख ट्रैवलर भी थे जो पंजाबी में वीडियो बनाते हैं।
अंटार्कटिका तक पहुंचने के लिए क्रू यात्रा का भी बड़ा रोमांच है। जहाज के भीतर का अनुभव जहां आधुनिक विकसित जीवन शैली से रूबरू होने का मौका देता है, वहीं प्रबंधन द्वारा पल पल दी जाने वाली सूचनाएं, नियमित ऑडिटोरियम में बैठकों के जरिए यात्रा की तैयारियों, सावधानियों, क्या करना है, क्या नहीं करना है, निर्देशित करना बड़ा दिलचस्प और जरूरी हिस्सा होता है। जहाज में यात्रा कर रहे लगभग 200 पर्यटकों को छोटे छोटे समूहों में बाटकर उन्हें एक साथ अन्य गतिविधियों से जोड़ना, छोटी नावों से स्थलों पर ले जाकर प्रकृति से परिचित कराना, जल जीवों और थल जीवों से साक्षात्कार कराना। यह सब देखना बहुत रोमांचित करता है। सबसे ध्यान रखने वाली बात यह कि पर्यटक के कपड़ों से लेकर उनके शरीर को वेक्यूम क्लीन और सेनेटाइज करना ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण से खुद को और अंटार्कटिका के पर्यावरण को नुकसान न हो सके।
जहाज याने क्रूज प्रबंधन प्रतिदिन की कार्यसूची प्रत्येक समूह को देता है, दूरबीन, जैकेट आदि भी दिए जाते हैं। प्रतिदिन सेफ्टी ड्रिल सुरक्षा अभ्यास करवाया जाता है। समुद्र में ड्रेक पैसेज जहां समुद्रों के मिलन से खरनाक गतिविधियाँ भारी तबाही का खतरा उत्पन्न करते हैं, ऐसी स्थितियों में यात्री को सचेतक उपाय बताए जाते हैं। जहाज जमे हुए समुद्र की बर्फ काटकर अपना रास्ता बनाते हुए हिमशैलों और धरती के निकट तक पहुंचता है। समूह में बांटे गए पर्यटकों को छोटी छोटी रबर की बोटों में बैठाकर किनारे पर पहुंचाया जाता है। कभी पेंग्विन समूह तो कभी सील,व्हेल जैसी विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीव साक्षात देखे जाते हैं। अंटार्कटिका के बर्फीले परिदृश्य, ग्लेशियर, और हिमशिखर, टूटते , बनते नए हिम खंडों को देखना बहुत ही मनोरम और भव्य होता है। अदभुत होती है यह सुंदरता। अंटार्कटिका के वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र भी पर्यटकों को विज्ञान और अनुसंधान के बारे में जानने का अवसर प्रदान करते हैं। पर्यटन का यह अनुभव मूल पर्यावरण और दुर्लभ वन्य जीवन के लुभावने दृश्य प्रस्तुत करता है।
अंटार्कटिका पर किसी भी देश का स्वामित्व नहीं है, बल्कि यह अंटार्कटिक संधि के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते द्वारा शासित है, जो अंटार्कटिका को केवल शांति और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयोग करने का प्रावधान करता है। अंटार्कटिका वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और विभिन्न देशों के कई शोध स्टेशन यहां स्थित हैं। भारत के भी दो सक्रिय अनुसंधान केंद्र मैत्री और भारती यहां स्थापित हैं।
बढ़ती पर्यटन गतिविधियों से अंटार्कटिका में संभावित मिट्टी के कटाव और प्रदूषण जैसी पर्यावरणीय चिंताओं को भी बढ़ाता है। टूर ऑपरेटर पर्यटकों को जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय प्रभावों के बारे में शिक्षित करने पर हर संभव जोर देते हैं, जिसका उद्देश्य इस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को बढ़ावा देना है। जैसे-जैसे उद्योग का विस्तार जारी है, पर्यटन और संरक्षण के बीच संतुलन बनाना अंटार्कटिका के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। आज के दौर में पर्यटन प्रसार और पर्यावरण संरक्षण के उपाय संभवतः एक ही क्रूज पर सवार हैं। अंततः दुनिया की यह रीत भी है। सब साथ साथ चलता रहता है। अंटार्कटिका का पर्यावरण बढ़ते पर्यटन के बावजूद अपने मूल स्वरूप में बना रहेगा ऐसे उपाय हम अवश्य करेंगे, इसी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
ब्रजेश कानूनगो
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