समुद्र में डूबते देश की अर्थ व्यवस्था का आधार
किसी भी देश का जनजीवन और लोगों की खुशहाली वहां की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करती है। यद्यपि प्रति व्यक्ति आय जैसे आंकड़े का भी बहुत महत्व होता है बल्कि कुछ अधिक ही होता है। सकल घरेलू आय का समान वितरण आबादी के बीच समान रूप से नही होने से समाज में निर्धन और संपन्न वर्गों के खांचे बन जाते हैं तो बड़े देशों में खुशहाली में भी असमानता दिखाई देती है। लेकिन जब देश बहुत छोटे हों तो अमीरी गरीबी के बीच की यह खाई उतनी गहरी दिखाई नहीं दे पाती। जिनकी अर्थव्यस्था कमजोर है तो गरीब होते ही हैं। जिन छोटे देशों की अर्थ व्यवस्था बेहतर होगी तो लोगों में खुशहाली भी बेहतर हो जाती है।
यदि क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व के चार सबसे छोटे देशों की बात करें तो मात्र 0.44 वर्ग किलोमीटर वाला वेटिकन सिटी सबसे छोटा देश है, इसके बाद मीनाको 2.10 वर्ग किलोमीटर, नाउरू 21 वर्ग किलो मीटर के बाद तुवालू 26 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ चौथा सबसे छोटा देश है। तुवालू की अर्थ व्यवस्था में जिस चीज का महत्वपूर्ण योगदान है वह हमारी सामान्य समझ को चौंका देती है।
तुवालु दक्षिण प्रशांत महासागर में नौ छोटे द्वीपों का एक समूह है, जिसने 1978 में यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। इनमें से पांच द्वीप प्रवाल द्वीप हैं, जबकि अन्य चार समुद्र तल से ऊपर उठी भूमि से बने हैं। पूर्व में एलिस द्वीप के नाम से जाने जाने वाले ये सभी द्वीप निचले इलाके में हैं, और तुवालु की समुद्र तल से ऊंचाई 4.5 मीटर से अधिक नहीं है। ग्लोबल वार्मिक के कारण समुद्र का जल स्तर ऊपर उठ रहा है, ऐसे में यह खतरा भी यहां पैदा हुआ है कि कुछ ही वर्षों बाद ये द्वीप डूबकर विलुप्त हो सकते हैं। ट्रेवल व्लॉगरों को तुवालू की यात्रा करने में काफी दिलचस्पी रहती है। पिछले दिनों पैसेंजर परमवीर और डॉक्टर यात्री व्लाग के परमवीर और नवांकुर के यूट्यूब वीडियो हमने देखे और यहां के जनजीवन को जाना समझा है।
तुवालू की राजधानी फुनाफ़ुटि है जहां एक मात्र अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है जहां प्रति सप्ताह दो तीन फ्लाइट का संचालन होता है, एयर कनेक्टिविटी केवल फिजी के जरिए ही होती है। बाकी समय यहां के रन वे का उपयोग खेल के मैदान के रूप में होता है। बच्चे और अन्य लोग इसका आनंद उठाते हैं। परिवहन के रूप में एक सिरे से दूसरे सिरे तक बस सड़क बनी हुई है, लोग पैदल ही यात्रा कर लेते हैं, कुछ दुपहिया वाहन भी हैं। सरकारी अधिकारियों के पास कुछ कारें भी हैं किंतु उनका उपयोग बहुत कम किया जाता है। यहां की आबादी ही केवल 11,500 है जो 26 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली है तो यहाँ की आवश्यकताओं को आसानी से समझा जा सकता है।
हमने देखा कि इन द्वीपों पर जीवन सरल किंतु बहुत कठिन होता है। यहां कोई नदी या अन्य जल स्रोत नहीं हैं, इसलिए बारिश के पानी के संग्रहण से ही लोगों का काम चलता है। नारियल तथा ताड़ के पेड़ ज़्यादातर द्वीपों पर फैले हुए हैं, खोपरा,सूखे नारियल की गिरी आदि ही व्यावहारिक रूप से निर्यात करने योग्य उपज है। यहां की मिट्टी में बढ़ती हुई लवणता के कारण पारंपरिक खेती करना जोखिमपूर्ण है।
तुवालू ने आय के अन्य नवोन्मेषी स्रोत का दोहन करके चतुराई दिखाई है। हम सब जानते हैं कि आधुनिक विश्व एक ग्लोबल समाज बन गया है, जिसकी सारी संरचनाएं, एकजुटता इंटरनेट जैसी आधुनिकतम तकनीक पर निर्भर है। दुनिया की रक्तवाहिनियों में इंटरनेट के प्रवाह से धड़कने बनी हुई हैं। हर संस्था, कंपनी,व्यक्ति या सरकारों की अपनी अलग अलग वेब साइट होती हैं, जो अपने डोमेन के जरिए अंतरराष्ट्रीय रूप से संजाल से जुड़ पाती हैं। ईमेल, वेब सर्च और अन्य कई गतिविधियों के लिए टॉप लेवल डोमेन बनाया जाता है। यह वह हिस्सा होता है जो डोमेन नेम के बिलकुल आखिर में होता है। जिसे हम डॉट कॉम या डॉट इन आदि से जानते हैं।
डॉट कॉम का मतलब होता है यह वेब साइट कमर्शियल उपयोग के लिए है। डॉट ओआरजी का मतलब है यह संस्थागत वेब साइट है। डॉट जीओवी का मतलब है यह गवर्नमेंट साइट है।
इसी तरह देश का कोड भी होता है। कंट्री कोड टॉप लेवल डोमेन। इससे पता चल जाता है कि यह किस देश का डोमेन है। जैसे भारत के लिए डॉट इन, अमेरिका के लिए डॉट यू एस और ब्रिटेन के लिए डॉट यू के। इसी तरह तुवालू का डोमेन बनता है डॉट टीवी। जोकि टेलीविजन शब्द का लघु रूप हो जाने से महत्वपूर्ण हो गया है। तुवालू में न तो इंटरनेट है न ही ऑनलाइन कोई संरचना, उसने अपने इंटरनेट कंट्री कोड डोमेन डॉट टीवी को (.tv ) कैलिफोर्निया की एक कंपनी को कई मिलियन डॉलर प्रति वर्ष की निरंतर आय के लिए बेच दिया है। कंपनी इस डोमेन को टेलीविजन प्रसारकों को बेचती है। तुवालू की आय का यह बड़ा स्रोत बन गया है। तुवालू की अर्थ व्यवस्था का यही वह राज है जिससे वहां का जीवन थोड़ा सुगम हुआ है।
द्वीप के डूबने के खतरे को लेकर ऑस्ट्रेलिया सरकार ने बड़े उपाय किए हैं, अपने यहां तुवालू के नागरिकों को बसने के लिए काफी सुविधाएं और स्थान उपलब्ध कराने के बहुतेरे प्रयास जारी हैं।
तुवालू के बारे में इतनी अनजानी जानकारी जुटाने की प्रेरणा में यूट्यूब के ट्रेवल व्लॉगरों के योगदान को हम भुला नहीं सकते। किताबों की तरह घुमक्कड़ों के कैमरों से दुनिया को देखने का भी अपना एक सुख है।
ब्रजेश कानूनगो
तुवालू के बारे में इतनी अनजानी जानकारी जुटाने की प्रेरणा में यूट्यूब के ट्रेवल व्लॉगरों के योगदान को हम भुला नहीं सकते। किताबों की तरह घुमक्कड़ों के कैमरों से दुनिया को देखने का भी अपना एक सुख है।
ब्रजेश कानूनगो